मैंने २९ जनवरी के हिंदुस्तान पेपर में सौरभ बाजपाई द्वारा लिखा लेख गाँधी : राजनितिक दर्शन का मोहरा था गोडसे पढ़ा लेखक ने सात बड़े व् ऐतिहासिक मामलों पर अपनी नई और अनुभवहीन कलम चलायी है सभी मामले एकदम अनछुए से बस छेड़ कर छोड़ दिए गए हैं जो लेखक के भीतर की जल्दी बजी को दिखाते है ये हैं ---
१ साम्प्रदायिकता
२ बिभाजन
३ गाँधी जी की हत्या
४ नाथूराम गोडसे
५ बी डी सावरकर
६ R S S
७ गोलवलकर
अगर कोई भी लेखक इन में से किसी भी एक टोपिक को लिखने के पहले दस बार सोचेगा और बिना किसी तथ्य के नही लिखेगा लेकिन लेखक ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जल्दीबाजी में अपनी नादानी को उजागर किया है इस्वर इन्हें सदबुध्धि दें।
Monday, February 2, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)